शोर-शराबा

शोर-शराबा

फिर कोई शोर-शराबा हो

एक बार फिर चौंक जायें.
फिर आधी मूंदी आँखों
के सपने अधूरे रह जायें.
फिर आँखें मूँद लें
वोह था जो सपने में
फिर अपनी झलक दिखला जाए.
अधूरी कोई बात थी
उसे पूरा कर जाए.

फिर कोई शोर-शराबा हो
एक बार कोई फिर बुलाये
उस पुराने नाम से
जो भूल चुके हैं
एक बार फिर याद आये.
उसकी भीगी सी आवाज़
इतनी शोर में भी
जानी पहचानी सी
सुनाई दे जाए.

फिर कहीं शोर उठे
उसमें सब ख़याल
घुल जाएँ
धुल जाएँ.
उस शोर-शराबे में
सच और झूठ के
दायरे से परे
कुछ याद रखें
कुछ भूल जाएँ.


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