कितने चेहरे बदले मैंने

कितने चेहरे बदले मैंने March 28, 2010

कितने चेहरे बदले मैंने,

जीवन के भीतर और बाहर,
कितनी बार नूतन हो लौटा,
दुनिया के मेले में जाकर|
जो कल मैं था है अब और ही कोई |
जो मेरा साथी था वो भी,
आया आज अजनबी बनकर|
कितने चेहरे बदले मैंने ..
बीती बातें भूल चुका हूँ ,
सारी सौगातें भूल चुका हूँ,
आज हूँ जो भी उसमें खोकर,
भूल गया जन्मों के बंधन|
तुमने कल सोचा था मुझको,
उसने था कल साथ निभाया|
आज लगा है वही पराया,
क्यूंकि रूप बदल वह आया|
काश! यदि मैं जान ये जाता,
है किससे कब-कब का नाता,
तब सबको फिर गले लगाता|
अपनों से न यूँ कतराता|
मेरी ये छोटी सी दुनियां,
मुझको यूं छोटा न करती,
याद अगर मुझको सबसे ही,
अपना रिश्ता गर आ जाता |
कितने चेहरे बदले मैंने…


Browse Our Archives