चांदनी की फसल

चांदनी की फसल February 12, 2011

रिश्तों की टहनी पर चांदनी खिल रही थी

बादलों के झरोखे में से सिमटी हुयी एक किरण का सहारा लिए

आज हवा घडी भर थम जाए तो अच्छा है
वर्ना हमारे शहर के दिन लम्बे है और रातें छोटीं

निर्मल चांदनी की भीनी सी गर्माहट यहाँ लगने से पहले ही मुरझा जाती है
रिश्तों की खोखली टहनी पर कब तक आशा का धागा बांधे कोई?


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